किसने किया था Indian Flag को Design, गाँधी जी किसको Designer नियुक्त किये।
हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी श्री पिंगली वैंकया जी द्वारा डिजाइन किया गया था। इनका जन्म आज के ही दिन 2 अगस्त 1876 को हुआ था।
भारत का राष्ट्रीय ध्वज - तिरंगा। राष्ट्रीय ध्वज भारत की आन-बान और शान है जो तीन रंगों से बना है। यह साहस, वीरता, गौरव, आकांक्षाओं और पवित्रता का भी प्रतीक है। अभी जैसा आप तिरंगा देखते है, इस झंडे का शुरुआती स्वरूप ऐसा नहीं था. इसमें समय - समय पर कई बदलाव हुए हैं । पिंगली वेंकैया हमारे तिरंगे के मूल स्वरूप के जनक हैं। महात्मा गांधी ने पिंगली वेंकैया को राष्ट्रीय ध्वज बनाने का काम सौंपा था। 1921 में इन्होंने झंडा को तैयार किया। झंडे के इतिहास में 1931 का साल अहम है। इस साल में इसमें कुछ परिवर्तन किये गये थे। इस साल तिरंगे झंडे को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक में राष्ट्रीय ध्वज को इसके मूल स्वरूप में अपनाया गया। झंडे में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को दिखाया गया।
पिंगली वैंकैया : संक्षिप्त जीवन परिचय
पिंगली वैंकैया का जन्म 2 अगस्त 1876 को वर्तमान आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के निकट भटलापेनुमारु नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम हनुमंतरायुडु और माता का नाम वेंकटरत्नम्मा था। पिंगली वैंकैया सिर्फ तिरंगा झंडा के निर्माता ही नहीं थे, बल्कि अपने जीवन में इन्होंने एक शिक्षक, लेखक और कृषक के रूप में भी काम किया। इन्होंने मछलीपट्टनम में एक शैक्षणिक संस्थान की स्थापना की। वैंकैया जी महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित थे, और गाँधी जी के ही कहने पर इन्होंने तिरंगे को डिजाइन किया था। इनको जापानी और उर्दू सहित कई भाषाओं का ज्ञान था। इन्होंने 1913 में बापटला के एक स्कूल में जापानी भाषा में पूरा भाषण दिया, इस कारण से इन्हें 'जापान वेंकैया' भी कहा जाने लगा। 84 वर्ष की आयु में 4 July 1963 इनकी मृत्यु हो गई। 2009 में इनकी स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया गया था और 2012 में यह प्रस्ताव किया गया था कि इन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाए।
तिरंगे के रंगों का महत्व
भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। सफेद रंग शांति और सत्य का प्रतीक है। और हरी हरियाली और वृद्धि को दर्शाती है। इसमे बना अशोक चक्र अशोक स्तंभ से लिया गया है इसमें कुल 24 तीलियां हैं। जो कि मनुष्य के गुणों को प्रदर्शित करने के साथ-साथ प्रगति, विकास, निरंतरता और कर्तव्य का संदेश देती है।
© Bhinsar : भिनसार || www.bhinsar.com
Comments
Post a Comment